प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी ने चुनावी रैलियों ने बदला माहौल
प्रदेश में पांच अक्टूबर को मतदान है और आठ अक्टूबर को मतगणना के बाद पता चल जाएगा कि राज्य में किस दल की सरकार बन रही है। प्रदेश के चुनावी समर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की एक के बाद एक हुई रैलियों से राजनीतिक माहौल गर्म है।
भाजपा जहां राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस को 10 साल के इंतजार के बाद राज्य में पार्टी की सरकार बनने का भरोसा है।
कांग्रेस और भाजपा के बीच होने वाले सीधे मुकाबले में कहीं-कहीं इनेलो-बसपा व जजपा-आसपा गठबंधन तथा आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मुकाबले को तिकोना बना रहे हैं। भाजपा व कांग्रेस दोनों को सबसे अधिक खतरा अपनी पार्टियों के बागियों से है, जिन पर दोनों दल निष्कासन की कार्रवाई भी कर चुके हैं।
पीएम मोदी और राहुल गांधी की रैलियों के बाद कांग्रेस व भाजपा दोनों का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। पिछले चुनाव में भाजपा के विरुद्ध चुनावी रण में उतरी जननायक जनता पार्टी (जजपा) को लोग उसकी खुद की तराजू में तौल रहे हैं।
कांग्रेस ने चुनावी रण में यह मुद्दा बड़ी प्रमुखता से उठाया कि जिस भाजपा के विरुद्ध जजपा ने पिछले चुनाव में वोट प्राप्त किये थे, उसी भाजपा के साथ मिलकर जजपा ने सरकार बनाई। जजपा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने यह कहते हुए सफाई दे रहे हैं कि सत्ता में आए बिना लोगों के काम संभव नहीं हैं।
इसलिए भाजपा के साथ सरकार में शामिल होना जजपा की मजबूरी थी। राज्य में अब जजपा व सांसद चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन है।
प्रदेश में इनेलो, बसपा और हरियाणा लोकहित पार्टी का गठजोड़ है। इनेलो पिछले 20 साल से सत्ता से दूर है। इस गठबंधन को राज्य में कोई चमत्कार होने की उम्मीद है। दलित व जाट राजनीति को यह गठबंधन हवा दे रहा है।
भाजपा और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अपने सारे नेता और संसाधन झोंक दिए हैं। कांग्रेस का चुनाव प्रचार पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के भरोसे था। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के चुनाव प्रचार में उतरने के बाद कुमारी सैलजा समेत कांग्रेस के ज़्यादातर नेताओं ने पूरी सक्रियता से कार्यक्रम किए हैं।
भाजपा की ओर से पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रचार संभाला था, लेकिन पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत करीब दो दर्जन बड़े नेता चुनावी रण में सक्रिय रहे हैं। भाजपा के प्रचार का दारोमदार भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरोध के अतिरिक्त जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों पर ज़्यादा रहा है।
सैलजा के शुरुआती प्रचार से दूर रहने का भी भाजपा ने लाभ उठाने की कोशिश की, लेकिन बाद में उनके जो-शोर से चुनाव प्रचार में जुट जाने की वजह से भाजपा सैलजा के चुनाव प्रचार से दूर रहने को मुद्दा नहीं बना पाई।
कांग्रेस और भाजपा ने इन मुद्दों पर एक दूसरे को घेरा
भाजपा के छोटे-बड़े सभी नेताओं ने एक सुर में कांग्रेस के 2005 से 2014 के शासनकाल की कमियों पर अपने प्रचार को केंद्रित रखा है। कांग्रेस का चुनाव प्रचार भाजपा के 10 साल में कोई ब़ड़ी उपलब्धि नहीं होने के आरोप पर केंद्रित रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में रहे तो नायब सैनी को भाजपा ने स्टार प्रचारक के रूप में पेश किया।
कांग्रेस ने अपनी सभाओं में 2005 से 2014 तक हरियाणा में कराए गए विकास कार्यों को गिनवाने का काम किया है तो भाजपा ने सरकारी पोर्टलों व बिना पर्ची-खर्ची की नौकरियों को अपनी उपलब्धित बताया है।
कांग्रेस ने बेरोजगारी, महंगाई, नशाखोरी, भ्रष्टाचार, अपराध और किसानों की दुर्दशा के मुद्दे पर भाजपा की घेराबंदी की, जबकि भाजपा ने कांग्रेस के राज में भ्रष्टाचार व प्रापर्टी डीलिंग के आरोप लगाकर लाभ लेने की कोशिश की। कांग्रेस व भाजपा दोनों अपने-अपने चुनाव संकल्प पत्रों के साथ जनता के बीच में हैं, जिसका लाभ दोनों दल उठाने की पूरी कोशिश में हैं।
कांग्रेस की क्या है ताकत
- छह हजार रुपये पेंशन, किसानों को एमएसपी की गारंटी
- कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम
- दो लाख सरकारी भर्तियां
- पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर
- तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त
- महिलाओं को दो हजार रुपये प्रति माह
- गरीबों को 100-100 गज के प्लाटों के साथ रसोई व शौचालय समेत दो कमरों के मकान हेतु साढ़े तीन लाख रुपये।
भाजपा क्यों कर रही जीत का दावा
- महिलाओं को 2100 रुपये प्रति माह
- पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर जारी रहेगा
- पांच लाख लोगों को आवास और कालेज जाने वाली छात्राओं को स्कूटी
- दो लाख लोगों को पक्की नौकरी व अग्निवीरों को नौकरी की गारंटी
- किसानों की 24 फसलों की एमएसपी पर खरीद
- प्रत्येक परिवार को 10 लाख तक मुफ्त इलाज
- महंगाई के साथ बुजुर्गों, दिव्यांगों व विधवाओं की पेंशन में बढ़ोतरी।