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भाजपा भर रही दम, कांग्रेस कर रही जीत का दावा और इनेले-बसपा-आप कर रही संघर्ष

हरियाणा में भाजपा तीसरी बार सरकार बनाने का दम भर रही है। वहीं कांग्रेस भी इस बार सरकार बनाने का दम भर रही है। यहां पर मुख्‍य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही है। वहीं आम आदमी पार्टी अपना अस्तिव बचाने की लड़ाई लड़ रही है। इसके अलावा इनेलो-बसपा को एक दूसरे का सहारा है। साथ ही जननायक जनता पार्टी के सामने चुनाव चिह्न बचाना ही चुनौती बना है।   

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Haryana Election

हरियाणा में विधानसभा का चुनावी रोमांच चरम पर पहुंच गया है। कांटे के मुकाबले में परिणाम चाहे जो हों, यह चुनाव राष्ट्रीय राजनीति की दशा और दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। 

भाजपा और कांग्रेस की हार-जीत से राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (आइएनडीआइए) के घटक दलों की अगली रणनीति काफी हद तक निर्भर करेगी। इस चुनाव में हरियाणा के कई बड़े परिवारों का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को तीन ओर से घेरे हरियाणा में भाजपा अकेले दम पर 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस ने 90 विधानसभा सीटों में से एक सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को दी है। 

आम आदमी पार्टी (आप) ने सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हुए हैं। हरियाणा के मुख्य क्षेत्रीय दल जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने आजाद समाज पार्टी (आसपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन कर बड़ा दांव खेला है। जजपा 70 और आसपा 20 सीटों तथा इनेलो 53 और बसपा 37 सीटों पर गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं।

 हालांकि अधिकतर सीटों पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में दिख रहा है, लेकिन इनकी हार-जीत में जजपा-आसपा और इनेलो-बसपा गठबंधन के साथ ही आप और निर्दलीय प्रत्याशी अहम भूमिका निभाएंगे। 

विपक्षी वोट बंटे तो सत्ता की हैट्रिक लगाने की जिद्दोजहद में जुटी भाजपा को सीधा लाभ होगा। साथ ही गैर जाट मतों की एकजुटता भाजपा को मजबूती प्रदान कर सकती है। विपक्षी वोटों के ध्रुवीकरण की स्थिति में कांग्रेस को सीधा फायदा होने की उम्मीद है।

केंद्र में राजग सरकार की अगुवाई कर रही भाजपा के लिए हरियाणा विधानसभा का चुनाव काफी अहम है। जीतना इसलिए जरूरी है। हरियाणा में यदि भाजपा का गेम पलटा तो ऐसे में विपक्ष मजबूत हो जाएगा और राजग में शामिल दलों को साथ बनाए रखने के लिए भाजपा को अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।  

अगले साल दिल्ली सहित अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों पर तो इसका असर पड़ेगा ही, केंद्र सरकार को भी बड़े फैसले लेने से पहले कई बार सोचना होगा।

उधर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद से जोश में है। हरियाणा को जीता हुआ मानकर चल रही कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस की जूनियर पार्टनर बनकर रह गई है।

 ऐसे में हरियाणा में हार-जीत कांग्रेस की प्रतिष्ठा को तय करेगी। अगर कांग्रेस बाजी मारती है तो आइएनडीआइए गठबंधन और एकजुट होकर केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ाएगा। अगर हारे तो फिर उससे अन्य दल पीछा छुड़ाएंगे।  

आप पहले ही गठबंधन से किनारा कर चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए भी करो या मरो की स्थिति है। अगर कांग्रेस हार गई तो उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचेंगे। अगर जीते तो हुड्डा मुख्यमंत्री की कुर्सी के सबसे बड़े दावेदार होंगे।

क्षेत्रीय दल इनेलो और जजपा की प्रतिष्ठा दांव पर

पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला और पौत्र अभय सिंह चौटाला की पार्टियों के लिए यह चुनाव निर्णायक होंगे। साढ़े चार साल तक सत्ता में रहे दुष्यंत चौटाला मजबूत हो चले थे। 

भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद उनके अपने सहयोगी भी उनका साथ छोड़ गए। अगर इस चुनाव में दुष्यंत कुछ सीटें नहीं जीत पाए तो जजपा को बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा। इसी तरह 20 साल से प्रदेश की सत्ता से दूर इनेलो के लिए भी यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। अभय सिंह चौटाला को बसपा के सहयोग से अच्छा प्रदर्शन कर पाने की उम्मीद है।

चार अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों पर निगाहें

चार अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ओलिंपियन पहलवान विनेश फौगाट, डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलर कविता दलाल, भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान राम निवास हुड्डा तथा अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज आरती राव चुनावी रण में हैं।

 सबसे ज्यादा रोमांचक मुकाबला जींद की जुलाना सीट पर है, जहां पेरिस ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहलवान विनेश फौगाट कांग्रेस तो भारत की पहली महिला डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलर कविता दलाल आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार हैं। 

कविता दलाल ने 2016 में 12वें एशियन गेम्‍स में वेट लिफ्टिंग में गोल्‍ड मेडल जीता था। इसके बाद वे द ग्रेट खली के कांटिनेंटल रेस्लिंग एंटरटेनमेंट से जुड़कर पेशेवर कुश्ती में आईं और सलवार कुर्ता पहनकर रिंग में उतरीं। 

इसी तरह भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक राम निवास हुड्डा राेहतक के महम से भाजपा के प्रत्याशी हैं। किसान परिवार में पैदा हुए दीपक ने छोटी उम्र में ही कबड्डी खेलना शुरू कर दिया था। 

डुबकी किंग के नाम से भी मशहूर दीपक का मुकाबला कांग्रेस के बलराम दांगी से है। भाजपा ने अटेली विधानसभा सीट से अंतरराष्ट्रीय शूटर आरती राव को मैदान में उतारा है, जो केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की बेटी हैं। चार एशियाई चैंपियनशिप पदक जीतने वाली आरती हरियाणा पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष भी हैं।

दादा-पोते, चाचा-भतीजे और भाई-बहन में मुकाबला

सिरसा की डबवाली सीट पर चौटाला परिवार के दो सदस्य आदित्य देवीलाल चौटाला (इनेलो) और दिग्विजय चौटाला (जजपा) आमने-सामने हैं। दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे लगते हैं। इसी तरह रानियां में स्वर्गीय देवी लाल के पुत्र रणजीत सिंह चौटाला (निर्दलीय) काे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र अर्जुन चौटाला (इनेलो) टक्कर दे रहे हैं।